Tuesday, September 4, 2012

"मेरा देश इंडिया"

"मेरा देश इंडिया"....- तिलक
कई दिन से सोचता था भारत का अमन चैन जाने कहाँ खो गया है!
वसुधैव कुतुम्कम का प्रणेता भाईचारा था इसे कौन खा गया है!
बटोर ज्ञान, लगाया ध्यान, तब जाना जब कर डाले सब अनुसन्धान!
जब से कथित आज़ादी के साथ भारत देश का बंटवारा हो गया है!
भारत को मिटा कर बना डाले एक हिंदुस्तान व दूजा पाकिस्तान!
पहले भारत नहीं रहने दिया अब न रहा हिंदुस्तान या पाकिस्तान!
पाकिस्तान को वहां की सरकार ने नापाक कर डाला!
यहाँ भी शर्मनिरपेक्षों ने स्वयं हिन्दुओं को मिटा डाला!
उनका वो देश अतंकिया है तो मेरा ये देश भी इंडिया है!
धर्मनिरपेक्षता के नाम, निज गौरव भूला यह इंडिया है!
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
 इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण

जीवन जीने का अर्थ ...

जीवन जीने का अर्थ ...- तिलक
स्वांस लेना ही, कोई जीवन नहीं; यदि अर्थ जीने का, समझ आता नहीं

जीवन है, एक तालाब; जब तक बाहरी विश्व से, परिचित नहीं है आप
जीवन
है, एक नदी; समय की धारा पहचान कर, तैरना जानते नहीं यदि
जीवन है, एक धारा; यदि लक्ष्य से भटकना, किसी भी कारण हो, स्वीकारा
जीवन एक, सागर है;
जब ह्रदय आपका, वसुधैव कुटुम्बकम की गागर है
जीवन तब, महासागर है;
यदि लक्ष्य की सफलता के, बने आप पारंगत हैं
जीवन उनका, सुंदर है; राष्ट्र हित जीने का साहस, जिनके मन अंतर में है

"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण