मेरे दिल में क्या है जो तुम देख पाते
खुदा की कसम तुम न यूँ रूठ पाते
तुम जो गए हो तो दिल है ये सूना
क्यूँ इतनी थी जल्दी कुछ तो बताते
है बेचैन दिल ये , नहीं चैन इसको
करें क्या हम कुछ समझ ही न पाते
तनहाइयों के रंग बड़े ही अज़ब हैं
जुदाई सहें कैसे हमें तू ही बता दे
अब छा गया है मेरे हर सू अँधेरा
खुशियों को तुम बिन कैसे सदा दें
तुम ही हो साज इस जीवन के मेरे
"कादर" कैसे सजें सुर तू ही बता दे
केदारनाथ"कादर"
kedarrcfdelhi.blogspot .com
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
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